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आज आपके साथ मेरे कॉलेज के दिनो का एक छोटा सा किस्सा बाँटने का दिल कर रहा है, मुझे ये तो मालूम नही की ये छोटा सा किस्सा आपके होटो पर मुस्कुराहट ला पाएगा या नही, लेकिन आपको इतना बता दूं, की ये कॉलेज के प्रथम वर्ष का किस्सा है जिसने कॉलेज के आखरी वर्ष तक हम सब दोस्तो का भरपूर मनोरजन किया !! इस ब्लॉग को पढ़ कर अगर हल्की सी मुस्कुराहट भी आपके होटो पर विराजमान हूई तो मेरा लिखना सार्थक हो जाएगा !!
कॉलेज मे प्रवेश किया तो बहुत सारे नये दोस्त मिले, स्कूल मे जहाँ सारे दोस्त एक ही गली-मोहोले और एक ही शहर के थे वही कॉलेज मे भिन्न भिन्न प्रांतो के दोस्त बने, जिनकी सोच-विचार, रहन-सहन सब कुछ भिन्न भिन्न था इसलिए एक दूसरे को समझने मे ओर घुलने मिलने मे बहुत आनद आ रहा था, लेकिन उसी कॉलेज मे एक एसा लड़का मिला जो ना तो ज़्यादा बोलता था और ना ही हमारी मौज मस्ती मे सम्मिलित होता था !! होस्टल मे उसका कमरा ठीक मेरे सामने था, कॉलेज से आने के बाद भी वो हमारी दोस्त मण्डली में नहीं बैठ कर कमरे के कोने में स्टूल पर बैठ कर डायरी लिखता रहता था !!
कोलेज में आये अभी तो महिना भी नहीं हुआ था की मेरे नैना, नैना के नैनो से उलझ गये !! जब दोस्तों को इस बात की भनक लगी तो बात का बतंगड़ बना दिया और बहुत जल्दी ये बात नैना के कानो तक पहुँच गयी !! मेरी ना तो शक्ल अच्छी ना अक्ल अच्छी, इस लिए मुझे नैना को खोने का बहुत डर था !! और इसी बात की चिंता को लेकर मेरा खून सूखे जा रहा था…दो-तीन किलो वजन भी कम हो गया था !! शायद भगवान् को हमारी दोस्ती मंजूर थी इसलिए मेरे दोस्तों ने फरिस्तो जैसा काम किया कुछ ही हप्तो में मेरी और नैना की दोस्ती हो गयी !!
वो डायरी लिखने वाला दोस्त अपनी डायरी के पन्ने काले करने में हमेशा व्यस्त रहता था और पढाई में भी पूरा मग्न था इसलिए मेरी और नैना की दोस्ती के बारे में उसको बड़ी देर से खबर लकिन फिर भी उसको विश्वास नहीं हुआ !! फिर जब उसने खुद अपने नैनो से मेरे नैनो में नैना के प्यार को पनपते देखा तो वो दंग रह गया और हम सोच में डूब गये !!
कुछ दिन बाद दोस्तों को उसके राज की बात पता चली, दरअसल वो भी नैना को चाहता था, प्यार करता था और उसी के प्यार मे रोज डायरी के पन्ने काले करता रहता था….(और देखो आज भी कर रहा है ) !! लेकिन कभी नैना से कहने का साहस नही जुटा पाया !!
जब डायरी के पन्नो मे दबा रहस्य सब दोस्तो के कानो तक पहुचा तो कुछ ही क्षणो मे हम सब की जूबा से एक शब्द टपकने लगा…………..”वॅन साइडेड लवर”
फिर ये मुद्दा दोस्तो के लिए मनोरंजन का स्रोत बन चुका था, कॉलेज पढ़ाई की समाप्ति तक बार बार हुमारी टोपी उछाल कर सब का मनोरंजन किया…….आज उन दिनो को याद कर के ही दिल खुश हो जाता है !!
“डायरी लिखने वाला दोस्त” आज भी नैना का नाम मेरे नाम के साथ देख कर अपना दिल जला लेता है……………….!!
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